बेहाल यू मुस्कुराने कि हमे आदत हो गई है
जैसी भी है जिंदगी जीने कि आदत हो गई है
क्यू करते है कोशीश हमे गिराने कि लोग
हमे गिरगिर कर उठने कि आदत हो गई है
अब यू ही लिखकर छोड देते है दिल कि बाते
हमे भी पलटकर न देखने कि आदत हो गई है
यू बताओ खयाल किसे नही आते हरवक्त
हमे भी खयालो मे जीने कि आदत हो गई है
बाजी©