Saturday 14 January 2023

पानिपत काव्य

प्रलयलोटला सागर उठला 
खणाणल्या समशेरी
महाभारतासम रण दिसले
कुरुक्षेत्राची भुमी
भाऊ सदाशिव रणात तांडव
काळाग्निसम करीत भिडले
शिंद्याचे रण भैरव कंदन 
म्लेंच्छावर जणु तुफान उठले 
यौवन शोर्या गाजवित तो
सुर्य मंडळा भेदत पडले
अभिमन्यू विश्वास जनकोजी 
मृत्यू ला ही मारत लढले
देश रक्षणा मर्हाट भाला
पठाण छेदून तुटून गेला 
भारत भूमी साठी मराठा
शंभर कापत कटून गेला 
पानिपत ते एकच काय
अशा आहुत्या लक्ष करु
हरलो जरी हि रणांगणी

बाजी राधाकृष्ण पांडव copyright 

Thursday 6 January 2022

चुकूर होऊ नका

चुकूर होऊ नका, गड्यानो, चुकूर होऊ नका 
स्वराज कार्या मधे, कुणी ही, फितूर होऊ नका 

इमान ठेवा भगव्या पायी ,एकीच आपली ताकत हाई 
शिवाजी राजा सांगून जाई भाव भेद हा फुका 

भाव भेद हा फुका गड्यांनो चुकूर होऊ नका

रगात सांडू धर्मासाठी आयुष्य वाहू देशासाठी 
शंभू राजाच्या स्वप्नासाठी स्वार्थी होऊ नका

स्वार्थी होऊ नका गड्यांनो चुकूर होऊ नका


बाजी राधाकृष्णन्

Monday 27 December 2021

शिवराज अष्टक

हिंदु शौर्य तेज अंभ  शिऽव राज भूपती
कोटि सुर्य कोटी चंद्र क्षात्र तेज नृपती 
क्रूर काळ दंड धारि शिऽव म्लेंच्छ मारका
देव देश धर्म पाल शिऽव युग नायका 

पारतंत्र अंधकार अंतकाल शिव रवी 
आफजल्ल उदर विदर शिवसिंह नरहरी
बुद्धि थोर शौर्यघोर हिंदु राज्य स्थापका
देव देश धर्म पाल शिऽव युग नायका 

सह्य सिंह दख्खणेंद्र दूर्ग प्रिय रायरी
अश्व कटक भूवरी अजेय सिंधु सागरी
शाम श्वेत म्लेंच्छ दुष्ट क्रूर शत्रु मर्दका 
देव देश धर्म पाल शिऽव युग नायका 

किर्तिवंत या अनंत खंड मंडलांतरी
शिव राज किर्तिवंत एक ची दिगंतरी 
गुंड पुंड लक्ष झूंड न्याय धाक दंडका
देव देश धर्म पाल शिऽव युऽग नायका 

साधू संत भाट ब्रह्म वृंद ज्यास वंदिती
रुद्र शत्रु रयत राम शिव राज बोलती
कर्ण धर्म भीम पार्थ गुण समुच्च नायका
देव देश धर्म पाल शिऽव युग नायका 

मातृभक्त भक्तिसिंधु पितृशौर्य गर्वि तो
मां भवानि भक्त स्त्रीस मातृतुल्य लेखतो
मां भवानि मातृभक्त मातृभूमि पूजका 
देव देश धर्म पाल शिऽव युग नायका 

निर्बलास मित्र हस्त लोक प्रिय प्रियसा
दीन मित्र गर्व रिक्त लोक राज राजसा
लोक रक्षणार्थ छत्र राज चिन्ह धारका
देव देश धर्म पाल शिऽव युग नायका 

सुस्त राष्ट्र जागृतार्थ शिव राय मंत्र हा
शौर्य धैर्य स्फुर्तिदायि शिवशंभु मार्ग हा
भक्त बाजी सेव्य अर्पि काव्य पुष्प अष्टका
देव देश धर्म पाल शिऽव युग नायका 

कवि-बाजी राधाकृष्ण पांडव copyright.
सर्व हक्क लेखकाधिन.

Thursday 16 December 2021

मी कधी

मी कधी, तुझ्या सोबती , कधी गुंतलो ,कळे ना मला
तू कधी ,पुन्हा तू कधी,कधी भेटसी , मला सांग ना

आभास तू ,का जाहली , स्वप्नात माझ्या,तू ये ना जरा 
स्वप्नात तू,राहू नको ,कधी सोबती ,तू ये ना जरा
तू कशी,जशी चांदणी ,कधी रातीला ,तू ये ना जरा
मी तुझा,होऊ दे तुझा,मला गुंतू दे,तू ये ना जरा

तू कधी ,मनाला कधी,कधी गुंफले,कळे ना मला
का तुझी,मनाला तुझी,का ओढ लागे ,कळे ना मला
तू आता,मला सोबती ,सवे चालण्या, तू ये ना जरा
तू असा ,तो चंद्र जसा ,सवे चांदणीच्या तू ये ना जरा
तू असा,जसा श्वास हा ,हृदयात ये,तू ये ना जरा

Tuesday 14 December 2021

मृत्युवरी स्वार

मृत्युवरी स्वार होतो मराठाच, मृत्युस मारीत जातो रणी 
धर्मात, युद्धात, शौर्यात धैर्यात जो अग्रणी तो मराठा धनी 

युद्वात आहे पुढे आपल्या कोण , पाहे मराठा न केव्हा तरी 
हा आत्मविश्वास ऐसाच नाही, काळास तुम्ही विचारा तरी
दूर्दांत गर्विष्ठ हरवून युद्धात गर्वास चेंदून
आम्ही करी

आम्हीच रोखून आक्रंत कारी, किती मारले गाडलेले रणी
मृत्युवरी स्वार होतो मराठाच, मृत्युस मारीत जातो रणी 


दिल्लीत गर्जून सिंहासनी श्री शिवाजी बनूनी आव्हानलो
औरंग अफजल्ल आलेत जे ही फाडून छातीवरी नाचलो 
खिंडीत बाजी बनूनी यमालाच शंभू बनूनी कधी भांडलो

दर्यासही धाक लावी मराठाच अटकेस जिंकून जातो क्षणी 
मृत्युवरी स्वार होतो मराठाच, मृत्युस मारीत जातो रणी 
 बाजी राधाकृष्ण पांडव copyright

Wednesday 14 July 2021

रावण चरित्र

क्या आप मानते है कि रावण एक महान राजा था ?
क्या आपको लगता है कि रावण सर्व शक्तीशाली योद्धा था ? और उसको कौई हरा नही पाया था?
क्या आपको यह लगता है रावण ने अपने बहन कि शील मर्यादा कि वजह से माता सीता का हरण किया था ?
क्या आप समजते है कि रावण वैदिक सनातन धर्म का विरोधी और शत्रू था ?

तो अंत तक जरुर देखे  वाल्मिकी रामायण जो महर्षी वाल्मिकी ने श्री राम जी के समय मे लिखी थी   इसमे से हम जानेंगे लंका के राजा रावण के बारे मे

आईए जानते है रावण और उसके भाई बहनो का जन्म कैसे हूआ उसका कुल क्या था ?
तो वाल्मिकी रामायण उत्तर काण्ड के नववे सर्ग मे लिखा है
  राक्षसो के राजा सुकेशके पुत्र सुमाली कि बेटी कैकसी थी उसने  सुपुत्र कि इच्छा हेतू भगवान विष्णू से उत्पन्न  ब्रह्मदेव के  पुत्र महर्षी पुलस्त्य के विश्रवा नामक अग्निहोत्री ब्राह्मण ऋषी के द्वार पर संध्या समय मे जब विश्रवा ऋषी अग्निहोत्र कर रहे अशुभ समय आकर खडी हूई और पुत्र प्राप्ती कि याचना कि महर्षी ने उसे बताया इस अशुभ समय कि वजह से तुम्हारे पुत्र अधर्मी राक्षस ही होंगे 
  तब कैकसी बहुत दु:खीत हुई और कहा मुझे तो आपके जैसा धर्मवान तेजस्वी पुत्र कि कामना थी महर्षी मुझ पर कृपा किजिए 
  तब महर्षी ने तपोबल से आशिर्वाद दे कर कहा तुम्हारा एक पुत्र मेरे जैसा धर्मवान तेजस्वी होगा बाकी अधर्मी राक्षस ही होंगे .
  और रावण ,कुंभकर्ण , शुर्पनखाऔर विभिषण का जन्म हुआ था
जन्मतः रावण के दस सीर बीस भूजा विशाल मुख और रंग कोयले सा काला था तब उसके पिता ने उसका नाम दशग्रीव रख दिया था .

आईए अब जानते है रावण को सोने कि लंका कैसे मिली ? कैसे रावण एक शक्तीशाली राक्षस बन गया ?
 वाल्मिकी रामायण नववे दसवे सर्ग मे लिखा है
रावण का एक और सौतेला भाई था जीसे हम धन कि देवता यक्ष राज कुबेर समजते है पहले वह सोने कि लंका नगरी मे रहता था  उसे देख कर कैकसी को ईर्ष्या हूई और उसने अपने पुत्रो से कुबेर जैसा बनने को कहा 
तब रावण और कुंभकर्ण ने दस हजार वर्ष  तपस्या कि और ब्रह्मदेव से वर स्वरुप
रावण ने मांगा कि 
मै गरुड नाग यक्ष देव दैत्य दानव और राक्षसो के लिए अवध्य हो जाऊ यानी ये सब मेरे मृत्यू का कारण नही हो सकते रावण मणुष्य को दूर्बल समझता था और 
ब्रह्म देव से यह वर प्राप्त कर रावण शक्ती शाली बन गया .

अब हम जान ते है रावण को लंका कैसे मिली ?
तो उत्तरकांड अकरावे सर्ग मे लिखा है कि रावण  ब्रह्म देव से वर प्राप्त कर उन्मत्त हो गया और उसने कुबेर के पास बार बार लंका छोडने के लिए संदेश भेज दिये फिर पिता विश्रवा कि आज्ञा से कुबेर ने लंका छोड दि और कैलाश के पास चले गये और वहा उसने अलकापूरी शहर बसाया .

क्या रावण सर्व शक्तिमान था ? क्या उसने सभी देवताओ और राजा ओ को जिता था ?
1. रावण सर्वशक्तीशाली नही था इसका प्रमाण वाल्मिकी रामायण मे उत्तरकांड आठवे सर्ग मे श्रीराम जी को अगस्त्य ऋषी बताते है आपने जिस पुलस्त्यवंशी राक्षसो को यानी रावण और बाकीयो को मारा उनसे जादा पराक्रमी उनके दादाजी सुमाली  और उसके भाई माल्यवान तथा माली थे यह इतने शक्तीशाली थे कि उनको रसातल भगाने स्वयं भगवान विष्णू को युद्ध करना पडा था .

रावण के कुबेर को जीतने के बाद कैलास पर आक्रमण करणे गया था तब उपर बैठे शिव पार्वती डराने हेतू उसने कैलास को अपनी भूजाओ से हिलाने लगा तब शिव जी ने कैलाश मात्र पैर के अंगूठे से दबा दिया जिस वजह से रावण हजार वर्ष कैलाश के नीचे दबा रहा था फिर जब रावण ने रावण के मंत्रीयो के अनुरोध से शिव कि प्रार्थना रावण ने  यह जान लिजिए कि सामवेद के मंत्र और विभिन्न स्तोत्रो से कि थी तब भगवान शंकर प्रसन्न हूए और दशग्रीव का नामकरण तब से रावण कर दिया  मतलब जीसने पर्वत के नीचे दबकर भयंकर आर्तनाद अर्थात राव किया था वह रावण .
भगवान शिव ने उस वक्त चंद्रहास नामक तलवार रावण को दि थी .

जब रावण ने यम लोक पर आक्रमण किया था तब यमराज ने छोडे हूए यमपाश से रावण कि रक्षा स्वयम् ब्रह्मदेव ने आकर कि और यमराज को पराजय स्विकारणे विवश किया था .

रावण  ने जब देवलोक पर आक्रमण किया था तब इंद्रादी वसू रुद्र मरुत गणो ने रावण घेर कर पकड लिया था तब रावण के पुत्र मेघनाद ने इंद्र को माया और छल के सहारे जीतकर बंदी बना लिया और रावण को बचाया था .

जब जब रावण पृथ्वी पर विजय करता घूम रहा था उस वक्त एक दिन वह हैहय वंशी क्षत्रियोसे रक्षित महिष्मती नगर मे जा कर वहा के राजा कार्तवीर्य सहस्त्रार्जुन से उलझा तब कार्तवीर्य सहस्त्रार्जुन ने रावण को परास्त कर दिया और महिष्मती नगरी मे कैद कर लिया तब रावण के दादाजी महर्षी पुलस्त्य ने कार्तवीर्य से रावण को छूडा लिया

जब रावण अर्जुन से छुटकारा पाकर किष्किंधा नगरी में जाकर पहुंचा और वहां के राजा वानर राज वाली को ललकार ने लगा तब सुग्रीव ने रावण से कहा की वाली अभी चारों समुद्रों से संध्या उपासना करके आते ही होंगे तुम तब तक ठहर जाओ अब रावण से रहा नहीं गया और वह पुष्पक विमान से दक्षिण समुद्र के तट पर चला गया जहां पर वाली बैठकर संध्या उपासना कर रहा था तब रावण ने बाली को पीछे से पकड़ने का विचार किया मगर महाबली वाली ने रावण को बगल में दबोच लिया और एक से दूसरे ऐसे चारो दिशा के समुद्र के तट पर छलांग लगाकर संध्या उपासना करते हुए फिर किष्किंधा में लाकर पटक दिया था इस प्रकार वाली ने रावण को हरा दिया था
यमलोक को जीतकर रसातल में दिग्विजय हेतु गया तब उसका सामना मणिमय पुरी के निवातकवच  से हुआ वे सब बलशाली थे उनसे युद्ध करते हुए 1 वर्ष बीत गया मगर कोई भी नहीं जीत पाया तब भगवान ब्रह्मा देव ने संधि कर रावण को उनसे दोस्ती करने की सलाह दी और रावण वहां से चला गया
वास्तविक रावण वरदान के कारण उन्मत्त हो चुका था मगर उसके कायर भी था उदाहरण के तौर पर देखें तो खुद को विश्वविजयी कहने वाला रावण सीता हरण करने के लिए अपने भाई मारीच की मदद से राम और लक्ष्मण को सीता से दूर कर सीता को हर लेता है यहां पर रावण की वास्तविक कायरता का दर्शन होता है मंदोदरी युद्वकांड मे रावण के मृत्यूपरांत रावण से कहती कि आपने यह कायरता कैसे कि  
  वस्तुतः रावण ने पहले देवता आदिती कन्याए और अनेक राजकन्याओं तपस्विनीओ का बलपूर्वक हरण किया था मगर सीता हरण करने के लिए ही उसने छल का सहारा लिया था

इस प्रमाणों से सिद्ध होता है कि रावण न हीं संपूर्ण  विश्व विजयी था और ना ही सर्वश्रेष्ठ योद्धा वह मात्र वरदान के कारण प्रबल हुआ था

आईए अब रावण कि अधार्मिकता और उन्मत्तता को देखते है 

रावण जन्म से अत्याचारी और नरभक्षक था वह ऋषि मुनि और मनुष्य को मारते और खाते फिरता था उत्तरकांड अठरावे सर्ग मे लिखा है कि रावण ने मरुत राजा के यज्ञ के सभी पुरोहितों और ऋषि यों को खा लिया था रावण की संस्कार हीनता उसके कुबेर के दूत कि हत्या करने के और हनुमान को मारने के प्रयास से हम देख सकते हैं की रावण राज नियोजित शिष्टाचार का पालन करना नहीं जानता था

उत्तरकांड सोलावे सर्ग के अनुसार  जब रावण का पुष्पक  विमान कैलाश पर चढ नहीं पाया तब रावण को समझाने आए हुए नंदीश्वर के रुप का रावण ने उपहास किया था और भगवान शंकर का अपमान किया था तब  नंदीश्वर ने कुपित होकर रावण को श्राप दिया की तुम्हारा और तुम्हारे कुल का विनाश का कारण वानर बनेंगे  

उत्तरकांड उन्नीस वे सर्ग के अनुसार जब इक्ष्वाकु वंश के राजा अनरण्य से रावण युद्ध कर रहा था तब रावण ने इक्ष्वाकु वंश का अपमान किया था तब राजा अनरण्य ने रावण को शाप दिया था की रावण के कुल का संहार करने वाला मेरे ही इक्ष्वाकू कुल में उत्पन्न होगा .



जो लोग कहते हैं कि रावण ने अपनी बहन का बदला लेने के लिए सीता का हरण किया था, वे रामायण नहीं पढे हैं। उत्तरकांड के अनुसार  वास्तविक रावण ने शुर्पनखा के पती विद्यूजिव्हा कि रसातल मे युद्ध के उन्माद मे हत्या कर डाली थी रावण कि कामुकता सीता को लेने के लिए थी और यह बात शुर्पनखा भी जानती थी इसी वजह से रावण के पास जाकर उसने उत्तरकांड चौतीसवे सर्ग श्लोक 15-22 के अनुसार सीता कि सुंदरता का वर्णन करते हुए कहती है उसके रुप की समानता करनेवाली भूमण्डल मे दूसरी कोई स्त्री नही है वह तुम्हारे योग्य भार्या होगी और केवल तुम ही उसके योग्य हो 
उस सीता को जब मै तुम्हारे लिए लाने गई तो  तब लक्ष्मण ने मुझे इस तरह कुरुप कर दिया  

कुछ लोग कहते है रावण ने सीता मा का हरन तो किया मगर उनके साथ कुकर्म नही किया था इस वजह से रावण को वह सत्शील कहतै है मगर इन लोगो ने वाल्मिकी रामायण नही पढा हूआ 
 रावण के पुर्वायुष्य मे किये गये कुकर्म देखने पर समझ आ जाता है रावण चरित्र कि दृष्टी से कितना गीर चूका था 
रावण के लिए बलात्कार करना मानो खेल 
था 
युद्धकांड तेरवा सर्ग मे रावण को जब सीता माता पर बलात्कार करने महापार्श्व उकसाता है तब रावण उससे कहता है की एकबार पुंजिकस्थला अप्सरा जो ब्रह्मलोक जा रही थी तब उसका रावण ने बलात्कार किया था तब ब्रह्मदेव ने रावण को यह शाप दिया था कि अगर इसके बाद रावण किसी स्त्री से उसके इच्छा के विरुद्ध बलात्कार करेगा तो उसके मस्तक के सौ तुकडे हो जाएंगे 
उत्तरकांड के छब्बीस वे सर्ग मे लिखा है कि 
एक बार स्वर्ग की अप्सरा रंभा रावण के भाई कुबेर के पुत्र नलकुबेर से मिलने जा रही थी। रास्ते में रावण ने उसे देखा और वह रंभा के रूप और सौंदर्य को देखकर मोहित हो गया। रावण ने रंभा को बुरी नीयत से रोक लिया। इस पर रंभा ने रावण से उसे छोडऩे की प्रार्थना की और कहा कि आज मैंने आपके भाई कुबेर के पुत्र नलकुबेर से मिलने का वचन दिया है अत: मैं आपकी पुत्रवधु के समान हूं अत: मुझे छोड़ दीजिए। परंतु रावण था ही दुराचारी वह नहीं माना और रंभा के साथ बलात्कार कर लिया।

रावण द्वारा रंभा पर बलात्कार का समाचार जब कुबेर देव के पुत्र नलकुबेर को प्राप्त हुआ तो वह रावण पर अति क्रोधित हुआ। क्रोध वश नलकुबेर ने रावण को श्राप दे दिया कि यदि वह कामपिडित होकर उसे न चाहनेवाली स्त्री से बलात्कार करेगा तो उसके मस्तक के सात तुकडे हो जाएंगे

रावण जब हिमालय के वन मे घूम रहा था तब  उसने तपस्विनी वेदवती को देखा वह बहुत सुंदर थी अत: रावण कामुक हुआ और उसने वेदवती से प्रणय याचना कि मगर वेदवती ने कहा कि वह भगवान नारायण को अपना पती मान चूकी है तब रावण ने बल पूर्वक उसके बालो को पकड लिया फिर क्रोधित वेदवतीने बाल काट दिए और अग्नि मे समा गई और शाप दिया कि रावण के मृत्यू का कारण बनने वह फिर जन्म लेगी .

और भी बहुत से पर स्त्री गमन के पृथक पृथक उदाहरण हमे मिलते है मगर उपरोक्त मैने जैसे कहा है वाल्मिकी रामायण को अधिक महत्वपूर्ण समझा जाता है तो मैने प्रयासपूर्वक रावण का पूर्ण चरित्र यहा रखने का प्रयास कर दिया है .उम्मीद है आपको यह जानकारी पसंद आयी हो 
बाजी ©

Friday 11 June 2021

संताजी घोरपडे कविता

संताजी आले सैन्य वीजेसम, उसळून गेले मराठमोळे
मुगली छावणी पडली उताणी , औरंगजेब धरेवर लोळे

संताजी आया आया देखो , म्हणे क्रूर शैतान वो
उडती धडे अन कटे मुंडकी ,भैरव या वेताळ हो
अंधकारमय आसमंती तलवार ‍, भासते सुर्य जणु 
अंधकार रुपी मुगलांना तलवार ,  घोरपडी काल जणु

संताजी आले सैन्य वीजेसम उसळून गेले मराठमोळे
मुगली छावणी पडली उताणी औरंगजेब धरेवर लोळे

म्हणे संताजी 

अरे भेकडा शहा औरंग्या , जनानखाना सोडून ये  
तलवार घेऊनी लढण्या ये , वा साडी घाल नाचण्यास ये 
खांडोळी खांडोळी करतो , कात्रजचा तुज घाट दावतो
शिवरायांचे तेज दावतो , मर्हाटी क्षात्रतेज दावतो

बाजी पांडव © कवितेचे सर्वाधिकार रक्षित.

पानिपत काव्य

प्रलयलोटला सागर उठला  खणाणल्या समशेरी महाभारतासम रण दिसले कुरुक्षेत्राची भुमी भाऊ सदाशिव रणात तांडव काळाग्निसम करीत भिडले शिंद्याचे रण भैरव ...