Saturday 28 December 2019

रणरागिणी

रणरागिणी चपलदामिनी 
असुरखंडिणी उभी रहा
महिषमर्दीनी धर्मरक्षिणी 
बन युद्धशलाका उभी रहा

कराल काल हननी तुच तु
जगदोद्भवकारिणी तुच तु
मनकुंडलिणी ही तुच तु
बन जगद्व्यापिका उभी रहा

आठव तु स्वःतेज भवानी
मारिले असुर रक्त प्राशुनी
त्रीलोक झूकले समोर जननी
तु किर्तीवर्धिनी उभी रहा

राक्षस मातले पुन्हा आता
घे शस्त्र परजूनी तु ही आता
तुज लागे कसली सहायता
बन अघोरकालिका उभी रहा

बाजी© 

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