Saturday 26 August 2017

एक असंग सहवास

सुंदर खळखळणार्या नदी काठी खुप पक्षी येत असतात...
    पहीले तर ते अनोळखी असतात आगंतुकासारखेच ...
अंतर असते त्यात ...आपल्यात...
      हृदयांत मनात विचारात ....अनभिज्ञ पुर्णतः
         परंतु काळा ने हळुहळु कसलीशी बॉंडीग बनते
त्यांच्यात आपल्यात...
रोज तीच नदी तीच जागा तेच पाणी हे सगळ असल तरी मन मात्र त्या पक्ष्यांनाच शोधत असतं..
वास्तविक त्यांची आपली कसलीही ओळख नसते,
कसले संभाषण नसते तरीही ,
       एक धागा अज्ञातपणे बांधला गेलेला असतो ....
हृदयाचा आपल्या ....त्यांच्याशी..
कदाचित त्याना कल्पना नसते ..ते गुंग असतात आपल्याच धुंदीत ....
आणी
अचानक एक दिवस ते पक्षी तो थवा निघुन जातो .....
   आणी
आपण मात्र ,
आपली नजर मात्र शोधत असते
....त्यांच्या पाऊलखुणा.....
कसली भावनेची नाळ असते ही ?

बाजी©
       

Sunday 20 August 2017

सांग ना

आता मि इथे तु तिथे मन कुठे हरवले
सांग ना सांग ना

हे इथे कसे धुके शहारीती
शोधितो मि तुला
परि तु न दिसशी  ग मजला 
आहे कुठे ?हे प्रिये ,

सांगना सांग ना

ह्या इथे एकटा मी
सोबती मन हे
बरसती धुंद सरी
मन ही धुंदले बरे

सांग ना सांगना

दुर तु आहे तरी
भास हे का तुझे
निवांत बघ मी बैसलो
स्वप्न हे का तुझे ?

आता मि इथे तु तिथे मन कुठे
हरवले
सांग ना सांग ना

बाजी©
जीवनअर्घ्य
२०अॉगस्ट२०१७

Wednesday 16 August 2017

एकट एकट

एकट एकट बसलं की सुचेनासं होत
रिकाम्याश्या डोक्यात काहुर उभ राहतं
शुन्यात जाती डोळे माझ भान विसरल जात
फिरत फिरत मन भलं तुझ्याजवळ येत
उनाडत ते बागडत फडफडत ते तडफडतं
मन पाखरु उनाडस जस रानी उंडारतं...
,.
.#बाजी

गलती

जखम जखमपर देते जाना
अब
आदत तुम्हारी बनी हुयी है
अनुज समझ के माफ करने की
फितरत हमारी छुटी है
छोड दिया था उस घोरी को
दिल्लीपती चौहानने
बहलोल को छोड के मिट गये
प्रतापराव जवानी मे
हो गयी थी इतीहास मे ....
....कुछ गलतीया हमारी भी ...
क्या बार बार दोहराये इनको ...
..
.....
क्या सिख मिली इतिहास की.....
.......
....बाजी©

अल्फाज ए धडकन ..broken heart series

Y1]
   
दो दुनिया के रास्ते मिलतै हो जहा क्या मिल पायेंगे हम वहा
दुर क्षितिज की रेखाओ से क्या  लिख सकेगे दास्तान्
लब्जो का तो खेल नही है, इशारो से की बाते नही है
आपके खामोशी ने ही तो सारी बाते बया हुयी है
4]
मर कर तुझपे बरबादी होगी
 यह क्या हम  जानते थे ?
सौदेबाजी मे हारेंगे दिल
 क्या हम कभी जानते थे?
वैसे तो  कभी हारने की 
फितरत न थी हमारी
जब नजर ए मिलाफ हुआ 
तो हारने कि वजह मिल गयी

बाजी©

5]तेरे इश्कमै बुरे हालात का बेटा हु उसी बढाया मुझे

मै बुरे वक्त का चेला हु उसी ने पढाया मुझे 


मे बदनामी का डर रहा नही
बरबाद ए दिल के जिंदगी मे 
नाम की अब जरुरत क्या है 

इस दर्द की कोई दवा दिला दो
करे कबुल इबादत वो खुदा दिखा दो
यु घुटघुटकर नही जी सकते अब हम
कत्ल करे जज्बात ए दिल ऐसा जहर पिला दो

असर ए इश्क छा गया है कुछ इसतरह ए जान
कि अब अपने ही दिल मे खुदको ढुंढ रहा हु

सोचता हु बोल दु अब तुम्हे या नही
सोचता हु राज दिल के खोल दु या नही
फितरत हमारी कुछ बेजुबा यु अब
सोचता हु कागज पे लिख दु या नही 

होंगे जुदा जानते थे फिर भी वादा किया था 
गिर जायेगी दिवार ख्वाबोकी जानते थे
     फिरभी....वादा किया था
सुख जायेगा खुशीका तालाब जानते थे
     फिर भी......वादा किया था
जितेजी हमे मौत मिलेगी जानते थे
    फिर भी तुझे गलेसे लगाकर मरने  का
फिर भी वादा किया था
बाजी©
6]
 ना जान पावोगे हद ऐ दिवानगि
आजमाइश कर हद ए इश्क की
सीना चीर कर देखने का ख्वाब देख रही हो
वहा तो तु खुद का नाम  ही पाओगी
इम्तेहा की इस रस्म मे तुम बडी पछताओगी
मार के अपने आशिक को तु झे जालीम

7]
डरता था दिल कि किसी पर यु ही न आये उतर कर
कातील फितरत जानता था  बे वफा की
बाजी© 

८]
कुछ छोड गयी थी तुम शायद
कुछ लौटाना बाकी था
मिल गये थे हम राहो मे
बस पता पुछना बाकी था
कुछ भुल गयी थी तु  शायद
याद दिलाना जरुरी था
मेल बनाने कुछ लब्जो का
कुछ तो बोलना बाकी था
.
.बाजी©
10]
हम गैरो को अपना समझे 
यह गलती नही हमारी है
हर गैर मे तेरी मौजुदगी
यह दिल की दिवानगी है
मत समझ परवाना हमे
हम जल न सकेंगे तेरे लिये 
एक तमन्ना बसि है दिल मे
जिना ही है तेरे लिये
जिंदगी कि हर कदम पर 
एहसास यह होता रहा है
दिल तो बनाया रेखाओ से 
अब रंग बता भरना कहा है
#बाजी©
10)
अपनी हो तुम कहता है दिल 
समझ नही पाते हम कभी
नाम लिया जो तुने किसी का 
जल उठता है मन कभी 
क्या हलचल है नही जानते हम 
क्या तुम पहचान गयी हो
मोहब्बत करते है हम तुमसे
 क्या तुम जान गयी हो
बाजी©
11)
नाम लेता है तेरा  कतरा भी खुन का मेरे
सांस ढुंढती है गंध मोजुदीकी तेरे
आंखे ढुंढते है हर वक्त शबाब ऐ हुस्न तेरा
दिल धडकता है हरपल यादो मे तेरे
बाजी
12)
सवाल है रिश्ते मे कई लेकीन दिल जवाब ढुंढ नही सकता
मेरे हर बात का मतलब तुझे मै बता नही सकता
हर वक्त तुझे लगता है परेशान करता है सवाल मेरे
लेकीन सच तो यह है की ,
यह दिवाना इजहार ए मोहब्बत अभी कर नही सकता
बाजी©


१५] नही बचे मुकम्मल  अल्फाज
       जाने वाले कैसे रोक लु तुम्हे
       जिसने दी दिल खोलकर यादे
       उस से और क्या मांगु मै 
बाजी© 
16] तकलीफ हो तुझे
      ऐसा लब्ज नही बोलेंगे
       अकेले सह लेंगे हम
       अकेले मर जाएंगे
       गुमनाम खत की तरह
      बस याद मे रह जाएंगे
बाजी© 
17] 
19]ख्वाबो मे तेरा वजुद नही रहा
      अब आँखो ने मेरे सोना बंद कर दिया
      नही रोते हम तेरी याद से आजकल   
       है दिल ने धडकना बंद कर दिया
20
      दर्दद तमाशा दुनिया को दिखाना मक्सद नही शायरी का मेरे
      नही बोल सकते जिस दर्द को लकीरो मे दबा देते है 

21]क्या मोहब्बत मेरी तेरे लिए इक मजाक था
      मै एक खुषमस्करा और इश्क चुटकुला था
     वैसे दिख तो सब रहे थे साथी मेरे
      मगर जब दिल मे झाक कर देखा तो 
     अंधेरा नजर आया
बाजी© 
२२]
        23]
 क्यो लुटेरो के काफीले बदनाम है
 यहा लुटेरा जमाना है यारो
   नही होता दरिंदा जन्मसे कोई
 यह जमाना मजबुर बनाता है यारो
24]दिल्लगी इतनी ही थी मेरी ,
दियाँ थी वह परवाना मै था
परवाह नही थी उसे दिवाना मै था 

बाजी©
२४]ऐ हवा 
 वह नही जाती बता के ,खाली तु तो देखा कर
 उस अपने की गंध से मुझे मोजुदगी बताया कर 
बाजी© 

न कोई बात होगी
न मुलाकात होगी 
होगी तो बस अब  
उसकी बारात  और
मेरी जनाजा ए मौत होगी
©baaji_pandav

ए मोहब्बत की मेरे
मुकदमेमे न कोई सुनवाई
न मुआफी होगी 
होगी तो बस अब 
मुझे सजा ए मौत  होगी

©baaji_pandav

उनको नजरअंदाजगी की वजह
नही है अब
दिल की मय्युसियत की दवा
नही है अब 

©baaji_pandav

हम तो साथ परछाई के 
तक काट लेंगे जिंदगी  
बस्स अब सुरज तेरा 
तेरे सरसे हटने की देर है
©baaji_pandav

काश 
तु उस दिन 
न हसी होती 
तेरी मुस्कान पे यह 
जान न कुर्बान होती

©baaji_pandav

काश मै तेरे हाथ की वह कलम होता
उस बहाने ही सही मै तेरे साथ होता
बोल नही सकती जो मन की बात तु
  अपने आल्फाजो मे सही उतार देता

©baaji_pandav

काश तेरे अंबर का 
बादल मै बना होता 
तेरे हर एक रंग को
खुदसे यु सजा पाता 
फिर
भिगोने तेरे दिल को
यु कभी बरस जाता
©baaji_pandav

काश की तेरे साँसो की 
गंध मै बन पाता 
उस गंध को जिने
की जरुरत बना लेता
तु बन जाती रंग होली का 
और मै रंगनेवाला
पाणी ही बन पाता
©baaji_pandav

काश जिंदगी का हर
लम्हा तेरे संग जी लेता
हर सुखदुःख को मेरे
तेरे हसीं पे लुटा पाता 
नही था मै उतना खुशनसिब
काश तेरे दिल को यु
दिलसे मेरे जोड पाता 

©baaji_pandav

काश तेरे मन मे यु 
अपने की तरह रह पाता 
परछाई बनकर तेरी मै
ठंडक की तरह समा पाता
नही थी मेरे नसिब मे
तुम्हारी मोहब्बत कभी भी
काश तेरे दिल को यु
अपने हातो से मै रंग पाता
©baaji_pandav

जालीमो भरी दुनिया मे इन्सानसे वफा उम्मीद ना कर 
कभी जानवरो से लगाव कर वफा की बखान जानोगे
बाजी©

8]
इस गलतफहमी ना रह की हम भुल ना पायेंगे तुझे 
पथ्थर भी नरम हो जाते हे समय से लडते हूये

9]दुआ भी उसकी खैरत 
की मांगता रह वह
बदनसिब 
तुट चुका था जो न लब्ज
बोलणे लायक था
हर वो बहाणा आपकी 
चाहत का 
दफना रहे है आसुओ 
के समंदर तले
अब आशिकी बस मौत से है !


बाजी©

कुछ इस कद्र टुट चुके थे हम
न देखा पलटकर उन्होने
न हमने उन्हे पुकारा 

Omkar R pandav ©
बाजी©
All rights of material and poems are reserved ©
omkar radhakrushn pandav (bajirao)

ती आणी आई बाबा

ती.आणी आई बाबा ..
सोबत तुझ्या थांबत नाही
......... माफ कर मला
घरी आई एकटिचय
.........घोर लागेल तिला
प्रेम करतो तुझ्यावर
हे हि खरच आहे
........पण
पहीलं प्रेम तर माझ
.........माझ्या आईबाबांवरच आहे
.
चंद्रतार्यांची भाषा मला जमत नाही
..मरणंही तुझ्यासाठी शक्य मला नाही.....
त्यानीच बनवलय शरीर
........ उगाच मरण्याचा अधीकार माझा
मलाच नाही
रागावु नको अशी मला कळतायत भावना
तुही समजुन घे माझ्या आईबाबाना......
....
.बाजी पांडव©

Tuesday 15 August 2017

अर्धवट .....


आपल्या जगण्याच्या वाटा बदलल्या
आपले गुंफलेले हात सुटले
ते आश्रु तो एकांत ते दुःख ....सगळ मागे पडलय..
एव्हाना
तु गेलीस तेवा ज्या कोपर्याने माझे दुःख पाहीले ......
तो  ...तो ही मला अनोळखी झालाय....!
परंतु काहीसे काहीतरी अजुनही
त्या ठिकाणीच थांबलेय....
काय आहे ते कळतय तुला?
नाही नं ....
मला ही नाही....!
माझं आयुष्य चालत राहत .....तुझ चालत तसच..!
नाक श्वास घेतं..
हृदय ब्लड पंपिग करत राहत ...
मि चालत असतो ,    जगत असतो ...
माणसे भेटतात ...मला खुलवतात ...हसवतात ..त्रास ही देतात ...
.आणी दिवस सरतो ...रात्रीही सरतात ..
तुझं ही असच आहे नं
पण बघ ना ..
किती ही कुठे कसा ही मि गुंतलो
,.............................
तरी कोणी काहीही आणी कधीही
    थांबवत नाही मला..!
मि थांबतो....
फिरुन फिरुन  तिथेच ...!
.....तिथेच !
.......काहीतरी अजुनही अर्धवट सुटलेलं आहे  ..... !
कारण
अशा अर्धवट सुटलेल्या गोष्टी मनाला कायम त्रास देत राहतात...!
  हो ना !
अपुर्ण मी अपुर्ण तु अपुर्ण  कहानी आपली
अपुर्ण सुर अपुर्ण ताल  अपुर्ण प्रेमगीत आपुले
अपुर्ण हाथ अपुर्ण साथ अपुर्ण प्रवास आपुला
अपुर्ण वात अपुर्ण रात अपुर्ण सहवास आपुला
अपुर्ण मन अपुर्ण भावना अपुर्ण नाते आपुले
अपुर्ण मी अपुर्ण तु अपुर्ण कहानी आपुली

बाजी©
 

    

Saturday 12 August 2017

सरोवरासम जीवन

आयुष्य कस माझ्या साठी
अनोळखी सरोवरा सारख झाल बघ
विचित्र खुप विचित्र ......
ज्याप्रमाणे अशा सरोवराभोवती निशब्द शांतता आणी सोबत नैसर्गिक गोंगाट भरलेला असतो
मन ...देखील तसेच झालय
शांत निर्भाव .......
      अन सोबतच
कसल्याशा अमुर्त ,अनामिक गोंधळाने भरलेलं
वरुन पाण्यासारखं शांत वाटतं सर्वाना ...
हसरं आणी आनंदी परंतु त्याआडची चाललेली घुसमट कधी कोणालाच कळत नाही....
आयुष्यात भोवती खुप सुगंध दरवळतो परंतु पाण्याखालील घुसमटीत त्या कडे लक्ष ही जात नाही...
दिवसात सोबत तरी असते मला लोकांची...
परंतु एकांत खायला उठतो मला भुकेल्या मगरी सारखा ..
आणी
आयुष्याच्या उन्हात मिच सुकुन जाऊ  नये ही भिती वाटते
कारण
मिच सुकलो तर जवळ आहेत ते सुद्धा साथ सोडतील म्हणुन
मी सावरुन बाहेर पडतो......

बाजी©
जीवनअर्घ्य

Wednesday 9 August 2017

एकट राहणं

खरंच खुप अवघड आहे हे
      अबोल राहणं
कारण आज अबोल राहीलो की त्रास होतो मनाला
   भिती वाटु लागते क्षणांची
कोणी सोबत असेल तरी घुसमट असते आतुन ...
गंभीर अशीच.....
आणी मग भिती वाटु लागते सोबती ची ही
द्वंद्व असते विचारांचे, कळत नाही मला
तुला आठवणे सोपे आहे की विसरने अवघड
कारण दोन्ही वेळी त्रास मलाच होतो...
मग
भिती वाटु लागते विचांराचीही
पुर्णपणे आयुष्याचे क्षण व्यापलेस तु ...
           अथांग असलेल मन व्यापलेस तु....
हे मन का
होऊन बसलय तुझ्या व्यक्तीरेखेचं गुलाम

   अन घेतेय  कोंडुन स्वतःस वेदनेच्या अंधारात.

आणी मग मला भिती वाटु लागते माझ्याच जीवनाची......

जीवनअर्घ्य
बाजी©

Sunday 6 August 2017

Oxygen आहेस तु माझी

मी उरतोच कोठे ?
    तुज्यावीणा ....
शुन्य शुन्य आणी शुन्य ..
मी सनकी वाटतो नं तुला ,
  कधीकधी वाट्टेल ते बोलतो ,
आणी तुला त्रास देतो परंत
ु तुला एका शब्दाने दुखावताना मि शंभर दा
पुर्वीच घायाळ झालेलो असतो.
वाटत तु गेलीस आयुष्यातन निघुन तर सगळ
सरळ होईल तसा विसरायला जातो मि
परंतु प्रत्येक क्षणागणिक तुला अधिक आठवितो .
तुझ्याशी अबोला करण्याचा प्रयत्न खुपदा केला
परंतु कळत नाही तेव्हाच तुला खुप आठवतो मी,
राहवत नाही ,मन जड होऊन जात ,आणी हात अपोआप टाईप करु लागतात.
गरज बनली आहेस का माझ्या आयुष्याची ?
तु oxygen आहेस का माझ्या जीवनाचा ?
हे कोड तुच सोडवु शकतेस!

बाजी©

पानिपत काव्य

प्रलयलोटला सागर उठला  खणाणल्या समशेरी महाभारतासम रण दिसले कुरुक्षेत्राची भुमी भाऊ सदाशिव रणात तांडव काळाग्निसम करीत भिडले शिंद्याचे रण भैरव ...