Wednesday 16 August 2017

गलती

जखम जखमपर देते जाना
अब
आदत तुम्हारी बनी हुयी है
अनुज समझ के माफ करने की
फितरत हमारी छुटी है
छोड दिया था उस घोरी को
दिल्लीपती चौहानने
बहलोल को छोड के मिट गये
प्रतापराव जवानी मे
हो गयी थी इतीहास मे ....
....कुछ गलतीया हमारी भी ...
क्या बार बार दोहराये इनको ...
..
.....
क्या सिख मिली इतिहास की.....
.......
....बाजी©

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