ये रास्ते जहाँ के मिलतै हो जहा क्या मिल पायेंगे हम वहा
दुर क्षितिज की रेखाओ से लिख सकेगे दास्तान
लब्जो का खेल नही है मनगढंत की बाते नही है
आपके खामोशी ने तो सारी बाते बया हुयी है
बाजी©Hh
प्रलयलोटला सागर उठला खणाणल्या समशेरी महाभारतासम रण दिसले कुरुक्षेत्राची भुमी भाऊ सदाशिव रणात तांडव काळाग्निसम करीत भिडले शिंद्याचे रण भैरव ...
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